retired employees हरियाणा प्रदेश की सरकार ने अपने सेवानिवृत्त कर्मचारियों और उनके परिवारजनों के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री नायब सैनी के नेतृत्व में राज्य सरकार ने घोषणा की है कि वर्ष 2016 से पूर्व रिटायर हुए या दिवंगत कर्मचारियों के परिवारों की न्यूनतम पारिवारिक पेंशन ₹9000 निर्धारित की जाएगी। यह निर्णय हजारों पेंशनभोगियों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने वाला है।
नई अधिसूचना का विवरण
राज्य सरकार द्वारा हरियाणा सिविल सेवा (संशोधित पेंशन) भाग-1, 2017 में संशोधन करते हुए एक नया नियम जारी किया गया है। इस नए नियम को हरियाणा सिविल सेवा (संशोधित पेंशन) भाग-1 (संशोधन) नियम, 2025 का नाम दिया गया है। वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी जी के द्वारा यह महत्वपूर्ण अधिसूचना प्रकाशित की गई है। इस नियम की विशेषता यह है कि इसे 1 जनवरी 2016 से प्रभावशील माना जाएगा।
पेंशन गणना में नई व्यवस्था
सरकार द्वारा पेंशन निर्धारण के लिए एक स्पष्ट और न्यायसंगत फार्मूला अपनाया गया है। इस नई व्यवस्था के अनुसार, यदि किसी पेंशनभोगी की नई गणना के आधार पर पेंशन राशि पहले से कम आती है, तो उसे पहले से भुगतान की जा रही राशि में ही समायोजित कर दिया जाएगा। यह व्यवस्था सुनिश्चित करती है कि किसी भी पेंशनर को नुकसान न हो।
सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों का लाभ
1 जनवरी 2016 से पूर्व सेवानिवृत्त या दिवंगत हुए कर्मचारियों की पेंशन अब सातवें केंद्रीय वेतन आयोग की अनुशंसाओं के अनुसार वेतन मैट्रिक्स पर आधारित होगी। यह महत्वपूर्ण कदम पुराने पेंशनधारकों को आधुनिक वेतन संरचना का लाभ प्रदान करता है। इससे वेतनमान का अद्यतनीकरण हो सकेगा और पेंशनभोगियों को वास्तविक एवं उचित लाभ प्राप्त होगा।
संशोधित पेंशन की गणना पद्धति
वित्त विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार पेंशन गणना का स्पष्ट फार्मूला निर्धारित किया गया है। सेवानिवृत्त कर्मचारियों की संशोधित पेंशन 1 जनवरी 2016 के वेतन के 50 प्रतिशत के बराबर होगी। वहीं पारिवारिक पेंशन उसी वेतन के 30 प्रतिशत के रूप में निर्धारित की गई है। सरकार ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वेतन निर्धारण के समय सभी संबंधित दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन करना आवश्यक होगा।
1986 से पूर्व रिटायर कर्मचारियों के लिए विशेष प्रावधान
सरकार ने उन कर्मचारियों के लिए विशेष व्यवस्था की है जो 1 जनवरी 1986 से पहले सेवानिवृत्त हुए या दिवंगत हो गए थे। इन कर्मचारियों की पेंशन की गणना 1 जनवरी 1986 के वेतनमान के आधार पर की जाएगी। यह प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि बहुत पुराने पेंशनधारकों को भी न्यायसंगत लाभ मिल सके। इस व्यवस्था से दशकों पुराने सेवानिवृत्त कर्मचारियों के परिवारों को राहत मिलने की संभावना है।
मध्यवर्ती अवधि के कर्मचारियों पर प्रभाव
जिन सरकारी कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति या दुर्भाग्यवश मृत्यु 1 जनवरी 1986 से 1 जनवरी 2016 के मध्य हुई है, उनकी पेंशन की गणना 1 जनवरी 2016 के संशोधित वेतनमान के आधार पर होगी। यह नियम व्यापक रूप से सभी श्रेणियों और विभागों के कर्मचारियों को अपने दायरे में लेता है। इससे एक बड़ा वर्ग लाभान्वित होगा।
बकाया भुगतान संबंधी स्पष्टीकरण
सरकार ने पेंशन और पारिवारिक पेंशन के संशोधन के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण स्पष्टीकरण जारी किया है। इसके अनुसार 1 जनवरी 2016 से पूर्व की अवधि का कोई भी बकाया भुगतान नहीं किया जाएगा। यह निर्णय भविष्य की भुगतान व्यवस्था को सरल, पारदर्शी और व्यवस्थित बनाने के लिए लिया गया है। इससे प्रशासनिक जटिलताओं से बचा जा सकेगा।
व्यापक सामाजिक प्रभाव
यह योजना न केवल व्यक्तिगत स्तर पर पेंशनभोगियों को राहत प्रदान करती है, बल्कि व्यापक सामाजिक प्रभाव भी डालती है। बुजुर्ग नागरिकों और विधवा महिलाओं के जीवन स्तर में सुधार होगा। ₹9000 की न्यूनतम पारिवारिक पेंशन से उनकी बुनियादी जरूरतों की पूर्ति में सहायता मिलेगी। यह राज्य सरकार की संवेदनशीलता और सामाजिक सरोकार को दर्शाता है।
आर्थिक सुरक्षा में वृद्धि
इस नई व्यवस्था से सेवानिवृत्त कर्मचारियों और उनके परिवारों की आर्थिक सुरक्षा में महत्वपूर्ण वृद्धि होगी। महंगाई के दौर में न्यूनतम ₹9000 की पारिवारिक पेंशन एक बड़ी राहत है। यह राशि परिवारों की मासिक आवश्यकताओं की पूर्ति में सहायक होगी और उन्हें सम्मानजनक जीवन जीने में मदद करेगी।
प्रशासनिक सुधार की दिशा
यह निर्णय हरियाणा सरकार के प्रशासनिक सुधार की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। पेंशन व्यवस्था में स्पष्टता और पारदर्शिता लाकर सरकार ने दिखाया है कि वह अपने कर्मचारियों के कल्याण के प्रति गंभीर है। यह नीति भविष्य में सरकारी सेवा में आने वाले कर्मचारियों के लिए भी आश्वासन का काम करेगी।
कार्यान्वयन की चुनौतियां
इस व्यापक योजना के सफल कार्यान्वयन के लिए प्रशासनिक तंत्र को तैयार रहना होगा। हजारों पेंशनधारकों के रिकॉर्ड की जांच और वेतन की पुनर्गणना एक जटिल प्रक्रिया है। सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि योग्य लाभार्थियों को समय पर लाभ मिले और कोई भी व्यक्ति इस सुविधा से वंचित न रहे।
यह निर्णय हरियाणा में पेंशन सुधार की दिशा में एक मील का पत्थर है। इससे अन्य राज्यों को भी प्रेरणा मिल सकती है। सेवानिवृत्त कर्मचारियों के कल्याण के लिए उठाया गया यह कदम सामाजिक न्याय और सरकारी संवेदनशीलता का प्रतीक है।
हरियाणा सरकार का यह निर्णय न्यायसंगत और व्यापक है। इससे हजारों परिवारों को प्रत्यक्ष लाभ होगा और राज्य की सामाजिक सुरक्षा व्यवस्था मजबूत होगी। मुख्यमंत्री नायब सैनी के नेतृत्व में लिया गया यह निर्णय सराहनीय है और इसके सकारात्मक परिणाम निकट भविष्य में दिखाई देंगे।
अस्वीकरण: उपरोक्त जानकारी इंटरनेट प्लेटफॉर्म से प्राप्त की गई है। हम इस बात की 100% गारंटी नहीं देते कि यह समाचार पूर्णतः सत्य है। अतः कृपया सोच-समझकर और संबंधित सरकारी विभाग से पुष्टि करने के बाद ही कोई भी प्रक्रिया अपनाएं।