Dearness Allowance 2025 लंबित 18 महीने के महंगाई भत्ता बकाया के साथ-साथ आठवें वेतन आयोग के गठन की संभावनाएं तेज हो गई हैं। यह दोनों घटनाक्रम केंद्रीय कर्मचारियों और सेवानिवृत्त व्यक्तियों के लिए आर्थिक राहत का संकेत देते हैं।
कोविड काल के दौरान रुका हुआ महंगाई भत्ता
कोरोना महामारी के दौरान सरकार को अनेक कठिन आर्थिक निर्णय लेने पड़े थे। उसी समयावधि में जनवरी 2020 से जून 2021 तक कुल 18 महीनों के महंगाई भत्ते (DA) और महंगाई राहत (DR) का भुगतान स्थगित कर दिया गया था। इस निर्णय से केंद्रीय कर्मचारियों में व्यापक असंतोष फैला था, क्योंकि उन्होंने महामारी के सबसे कठिन दौर में भी निरंतर अपनी सेवाएं प्रदान की थीं।
कर्मचारियों का मानना था कि जैसे ही देश की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा, यह बकाया राशि उन्हें प्रदान की जाएगी। अब 2025 में कर्मचारी संगठनों ने इस मुद्दे को पुनः जोरदार तरीके से उठाया है।
कर्मचारी संगठनों का दबाव
हाल ही में 23 अप्रैल 2025 को आयोजित संयुक्त परामर्श तंत्र (JCM) की बैठक में कर्मचारी प्रतिनिधियों ने अपनी मांग दोहराई है। उनका स्पष्ट कहना है कि जब उन्होंने राष्ट्रीय संकट के समय भी बिना किसी व्यवधान के अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया, तो उनके वैध अधिकार भी स्वीकार किए जाने चाहिए।
कर्मचारी संगठनों का तर्क है कि महामारी के दौरान जब अन्य क्षेत्रों में कार्य बंद हो गया था, तब भी सरकारी कर्मचारियों ने अपनी जिम्मेदारियों को निभाया। इसलिए उनका बकाया महंगाई भत्ता उन्हें अवश्य मिलना चाहिए।
बकाया राशि का आकलन
विशेषज्ञों के अनुसार, यदि समस्त केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को 18 महीने का संचित महंगाई भत्ता/राहत प्रदान किया जाता है, तो सरकारी खजाने पर लगभग 40,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार पड़ेगा। यद्यपि यह राशि काफी बड़ी है, परंतु कर्मचारी संगठनों का कहना है कि यह उनका न्यायसंगत हक है, जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता।
आठवें वेतन आयोग की स्वीकृति
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठवें वेतन आयोग के गठन को सैद्धांतिक स्वीकृति प्रदान कर दी है। यह समाचार लाखों केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनधारकों के लिए अत्यंत उत्साहजनक है।
पिछला अर्थात् सातवां वेतन आयोग 2016 में लागू किया गया था। कर्मचारियों की अपेक्षा थी कि 2026 से पूर्व नया वेतन आयोग गठित हो जाएगा, और अब यह संभावना साकार होती दिख रही है।
लाभार्थियों की संख्या
इस महत्वपूर्ण निर्णय से लगभग 36 लाख केंद्रीय सरकारी कर्मचारी और 65 लाख से अधिक पेंशनभोगी प्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित होंगे। इसके अतिरिक्त, पारिवारिक पेंशन प्राप्त करने वाले व्यक्ति भी इस योजना के अंतर्गत आएंगे। राज्य सरकार के कर्मचारी भी आशा कर सकते हैं कि केंद्र सरकार के निर्णय के बाद उनके वेतनमान में भी समानुपातिक परिवर्तन होगा।
वेतन वृद्धि का अनुमान
आठवें वेतन आयोग में फिटमेंट गुणक में वृद्धि की जाएगी। यह गुणक पुराने वेतनमान को नए वेतनमान में परिवर्तित करने का आधार होता है। यदि वर्तमान फिटमेंट गुणक 2.28 से बढ़कर 2.86 हो जाता है, तो मूल वेतन में 40 से 50 प्रतिशत तक की वृद्धि संभावित है।
उदाहरण स्वरूप, यदि किसी कर्मचारी का वर्तमान मूल वेतन 25,000 रुपये है और नया फिटमेंट गुणक 2.86 लागू होता है, तो उसका नया मूल वेतन 57,200 रुपये तक हो सकता है। इस पर महंगाई भत्ता, मकान किराया भत्ता, यात्रा भत्ता और अन्य भत्ते भी आनुपातिक रूप से बढ़ेंगे।
अन्य लाभकारी परिवर्तन
नए वेतन आयोग के लागू होने से अनेक अतिरिक्त लाभ भी मिलेंगे। भविष्य की पेंशन भी इसी संशोधित वेतनमान के आधार पर निर्धारित होगी। भविष्य निधि की कटौती अधिक होगी, जिससे सेवानिवृत्ति के समय एकमुश्त राशि भी बढ़ेगी।
मकान किराया भत्ता और यात्रा भत्ते में भी महत्वपूर्ण वृद्धि होगी। जीवन बीमा और उपदान जैसी सेवा संबंधी सुविधाओं में भी सुधार की संभावना है।
सरकार की आर्थिक चुनौतियां
कोविड-19 महामारी के दौरान सरकार को गंभीर आर्थिक झटका लगा था। कर संग्रह में कमी आई थी, जबकि सार्वजनिक व्यय में तीव्र वृद्धि हुई थी। अब जैसे-जैसे स्थितियां सामान्य हो रही हैं, सरकार भी राहत प्रदान करने की स्थिति में आ रही है।
हालांकि सरकार के लिए यह निर्णय सरल नहीं है, क्योंकि इतनी विशाल राशि का आबंटन बजटीय संतुलन को प्रभावित कर सकता है। परंतु कर्मचारी संगठनों का स्पष्ट मत है कि जब सरकार चुनावी वादों के लिए हजारों करोड़ रुपये आबंटित कर सकती है, तो मेहनतकश कर्मचारियों के वैध हकों को भी स्वीकार करना चाहिए।
आठवें वेतन आयोग की स्वीकृति की सूचना के बाद, अगला महत्वपूर्ण चरण इसके कार्यक्षेत्र (Terms of Reference) का निर्धारण होगा। इसके उपरांत आयोग अपना कार्य प्रारंभ करेगा, जिसमें लगभग डेढ़ से दो वर्ष का समय लग सकता है। अनुमान है कि 2026 से यह नया वेतनमान प्रभावी हो सकता है।
महंगाई भत्ता बकाया के संदर्भ में सरकार पर निरंतर दबाव बना हुआ है। कर्मचारी संगठन इस मुद्दे को संसदीय चर्चा तक ले जाने की तैयारी में हैं। यदि सरकार इस मांग को स्वीकार करती है, तो यह लाखों परिवारों के लिए महत्वपूर्ण आर्थिक राहत का कारण बनेगा।
राज्य सरकारों पर प्रभाव
केंद्र सरकार के इस निर्णय का प्रभाव राज्य सरकारों पर भी पड़ने की संभावना है। सामान्यतः राज्य सरकारें भी केंद्र के वेतन आयोग की सिफारिशों को अपनाती हैं। इससे देश भर के सरकारी कर्मचारियों को लाभ मिल सकता है।
आर्थिक प्रभाव
इस वेतन वृद्धि का व्यापक आर्थिक प्रभाव भी होगा। सरकारी कर्मचारियों की खरीदारी शक्ति बढ़ने से उपभोग में वृद्धि होगी, जो समग्र अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक होगा। यद्यपि सरकारी व्यय बढ़ेगा, परंतु इससे आर्थिक गतिविधियों में भी तेजी आएगी।
केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए आने वाला समय अत्यंत आशाजनक है। एक ओर 18 महीने के महंगाई भत्ता बकाया की प्राप्ति की संभावना है, तो दूसरी ओर आठवें वेतन आयोग से वेतन और पेंशन दोनों में महत्वपूर्ण वृद्धि निश्चित है।
अब देखना यह है कि सरकार इन मुद्दों पर कितनी शीघ्रता से ठोस कार्यवाही करती है। परंतु यह स्पष्ट है कि कर्मचारियों की न्यायसंगत मांगों को अब और अनदेखा नहीं किया जा सकता। यह दोनों निर्णय न केवल कर्मचारियों के मनोबल को बढ़ाएंगे, बल्कि उनकी आर्थिक स्थिति में भी महत्वपूर्ण सुधार लाएंगे।
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