10 साल पुराने खातों पर RBI का बड़ा फैसला! जानिए नया नियम RBI New Rules

By Ankita Shinde

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RBI New Rules भारत में करोड़ों लोगों के पास ऐसे बैंक खाते हैं जिनका उपयोग वर्षों से नहीं हुआ है। कभी नौकरी के सिलसिले में, कभी शिक्षा के लिए या फिर किसी अन्य कारण से खोले गए ये खाते समय के साथ भुला दिए जाते हैं। ऐसी स्थिति में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा हाल ही में जारी किए गए नए नियम एक महत्वपूर्ण राहत लेकर आए हैं। इन दिशा-निर्देशों से लंबे समय से निष्क्रिय पड़े खातों को फिर से चालू करना अब पहले से कहीं अधिक आसान हो गया है।

निष्क्रिय खातों की समस्या और समाधान

वित्तीय व्यवस्था में एक बड़ी चुनौती यह रही है कि लाखों खाते ऐसे हैं जिनमें पैसा तो जमा है लेकिन खाताधारक इनका उपयोग नहीं कर रहे। यह स्थिति न केवल बैंकों के लिए परेशानी का सबब है बल्कि ग्राहकों के लिए भी आर्थिक नुकसान का कारण बनती है। RBI के नए नियमों का मुख्य उद्देश्य इस समस्या का हल निकालना और ग्राहकों को उनके वैध धन तक पहुंच प्रदान करना है।

डिजिटल युग में केवाईसी की सुविधा

आधुनिक बैंकिंग में सबसे बड़ी क्रांति डिजिटल सेवाओं के रूप में आई है। RBI ने इस तकनीकी प्रगति का लाभ उठाते हुए निष्क्रिय खातों के लिए केवाईसी (Know Your Customer) प्रक्रिया को डिजिटल रूप दे दिया है। अब खाताधारकों को दस्तावेजों के साथ बैंक की लंबी कतारों में घंटों इंतजार नहीं करना पड़ेगा।

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डिजिटल केवाईसी की मुख्य विशेषताएं:

  • ऑनलाइन दस्तावेज सत्यापन
  • तुरंत प्रोसेसिंग की सुविधा
  • कागजी कार्रवाई में कमी
  • समय की बचत
  • सुरक्षित और विश्वसनीय प्रक्रिया

वीडियो केवाईसी – घर बैठे सेवा

RBI की सबसे प्रगतिशील पहल वीडियो केवाईसी की शुरुआत है। यह तकनीक उन लोगों के लिए वरदान साबित हो रही है जो शारीरिक रूप से बैंक जाने में असमर्थ हैं या जिनके पास समय की कमी है।

वीडियो केवाईसी की प्रक्रिया:

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  1. बैंक के अधिकृत प्रतिनिधि के साथ वीडियो कॉल
  2. रियल टाइम में दस्तावेजों का सत्यापन
  3. बायोमेट्रिक पहचान की पुष्टि
  4. डिजिटल हस्ताक्षर की सुविधा
  5. तत्काल खाता सक्रियकरण

यह व्यवस्था विशेष रूप से वृद्धजनों, शारीरिक रूप से चुनौती वाले व्यक्तियों और व्यस्त पेशेवरों के लिए अत्यंत उपयोगी है।

ग्रामीण क्षेत्रों के लिए विशेष व्यवस्था

भारत की अधिकांश जनसंख्या आज भी गांवों में निवास करती है। इन क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाओं की पहुंच अक्सर सीमित रहती है। इस चुनौती को देखते हुए RBI ने बिजनेस कॉरेस्पॉन्डेंट (व्यापारिक प्रतिनिधि) की भूमिका को विस्तार दिया है।

बिजनेस कॉरेस्पॉन्डेंट की सेवाएं:

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  • गांव में ही केवाईसी अपडेट की सुविधा
  • बैंकिंग लेन-देन में सहायता
  • वित्तीय सेवाओं की जानकारी प्रदान करना
  • डिजिटल बैंकिंग में मार्गदर्शन
  • स्थानीय भाषा में सेवा उपलब्ध कराना

यह व्यवस्था वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

निष्क्रिय खाते की पहचान और परिभाषा

बैंकिंग नियमावली के अनुसार, जब किसी खाते में निरंतर दस वर्षों तक कोई वित्तीय गतिविधि नहीं होती – न तो पैसा जमा होता है और न ही निकाला जाता है – तो ऐसे खाते को निष्क्रिय की श्रेणी में रखा जाता है।

निष्क्रिय खाते बनने के मुख्य कारण:

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  • नौकरी या निवास स्थान में परिवर्तन
  • खाते की जानकारी भूल जाना
  • वैकल्पिक बैंकिंग सेवाओं का उपयोग
  • पारिवारिक परिस्थितियों में बदलाव
  • डिजिटल बैंकिंग की जानकारी का अभाव

DEA फंड की व्यवस्था और महत्व

जब निष्क्रिय खातों की राशि लंबे समय तक अदावी (Unclaimed) रहती है, तो इसे ‘डिपॉजिट एजुकेशन एंड अवेयरनेस फंड’ में स्थानांतरित कर दिया जाता है। यह फंड RBI के प्रबंधन में संचालित होता है।

DEA फंड के उद्देश्य:

  • वित्तीय साक्षरता का प्रसार
  • जमाकर्ताओं में जागरूकता बढ़ाना
  • बैंकिंग सेवाओं का प्रचार-प्रसार
  • वित्तीय शिक्षा कार्यक्रमों का संचालन

महत्वपूर्ण बात यह है कि फंड में जाने के बाद भी यह राशि खाताधारक की ही संपत्ति रहती है। जब भी कोई व्यक्ति अपने खाते का दावा करता है, बैंक संपूर्ण राशि ब्याज सहित वापस कर देता है।

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नई व्यवस्था के फायदे

ग्राहकों के लिए लाभ:

  1. समय की बचत: डिजिटल प्रक्रिया से घंटों की बचत
  2. सुविधा: घर बैठे केवाईसी की सुविधा
  3. पारदर्शिता: खाते की स्थिति की स्पष्ट जानकारी
  4. पहुंच: ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर सेवा
  5. सुरक्षा: डिजिटल माध्यमों से बेहतर सुरक्षा

बैंकों के लिए फायदे:

  1. परिचालन लागत में कमी
  2. ग्राहक संतुष्टि में वृद्धि
  3. डिजिटल बैंकिंग को बढ़ावा
  4. नियामक अनुपालन में सुधार

बैंकों की बढ़ी हुई जिम्मेदारियां

नए दिशा-निर्देशों के साथ बैंकों पर भी अतिरिक्त जिम्मेदारियां आई हैं:

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प्रमुख जिम्मेदारियां:

  • निष्क्रिय खातों की नियमित निगरानी
  • ग्राहकों को समय-समय पर सूचना देना
  • डिजिटल प्लेटफॉर्म पर खाते की जानकारी उपलब्ध कराना
  • वीडियो केवाईसी की सुविधा सुनिश्चित करना
  • बिजनेस कॉरेस्पॉन्डेंट नेटवर्क का विस्तार
  • ग्राहक सेवा में सुधार

RBI के ये कदम भारतीय बैंकिंग व्यवस्था को आधुनिक और ग्राहक-केंद्रित बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण हैं। आने वाले समय में निम्नलिखित बदलाव संभावित हैं:

संभावित सुधार:

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  • निष्क्रियता की अवधि में कमी
  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग
  • ब्लॉकचेन तकनीक का समावेश
  • मोबाइल ऐप के माध्यम से खाता प्रबंधन
  • वॉयस रिकग्निशन से केवाईसी

आवश्यक सावधानियां

नई व्यवस्था का लाभ उठाते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना आवश्यक है:

  1. दस्तावेजों की तैयारी: सभी आवश्यक कागजात तैयार रखें
  2. बैंक से संपर्क: पहले अपने बैंक से जानकारी लें
  3. सत्यापन: केवल आधिकारिक चैनलों का उपयोग करें
  4. सुरक्षा: व्यक्तिगत जानकारी की सुरक्षा सुनिश्चित करें
  5. धैर्य: प्रक्रिया में समय लग सकता है

RBI के नए दिशा-निर्देश निष्क्रिय बैंक खातों की समस्या के समाधान की दिशा में एक प्रभावी कदम हैं। डिजिटल तकनीक का उपयोग करते हुए इन नियमों ने न केवल प्रक्रिया को सरल बनाया है बल्कि ग्राहकों के समय और पैसे की भी बचत की है। विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों के लिए बिजनेस कॉरेस्पॉन्डेंट की व्यवस्था एक सराहनीय पहल है।

यह परिवर्तन न केवल वर्तमान खाताधारकों के लिए लाभकारी है बल्कि भविष्य में डिजिटल बैंकिंग के विकास की भी मजबूत नींव रखता है। जैसे-जैसे तकनीक का विकास होगा, ये सेवाएं और भी उन्नत और सुविधाजनक बनती जाएंगी।

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अस्वीकरण: उपरोक्त जानकारी इंटरनेट प्लेटफॉर्म से ली गई है। हम इस बात की 100% गारंटी नहीं देते कि यह समाचार पूर्णतः सत्य है। अतः कृपया सोच-समझकर आगे की प्रक्रिया करें। निष्क्रिय खाते को सक्रिय करने से पहले अपने संबंधित बैंक से नवीनतम और पूर्ण जानकारी अवश्य प्राप्त करें। बैंकिंग नीतियां समय के साथ परिवर्तित हो सकती हैं, इसलिए किसी भी कार्रवाई से पूर्व आधिकारिक स्रोतों से पुष्टि करना आवश्यक है।

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